Must Read Every Indian
Happy B'day Sir/ Dedicate to u.........
Manmohan Singh,PM (India)
September 26, 1932 (age 81 years)
ओ वीर-प्रजा के निर्बल राजा कुछ आह सुनाई देती है,
या फिर तुमको बस अपनों की कराह सुनाई देती है?
तुम प्रजातंत्र के श्रेष्ठ शिखर पद पर बैठे सम्मानी हो,
फिर भी तेरे पदचाप तले क्यूँ दुश्मन की मनमानी हो?
क्या विधवाओं का क्रंदन तुमको श्रृंगारिक-रस लगता है?
या सिसक रही आवाजों में तुमको प्रपंच बस लगता है?
तुम भारत के वीरों पर अक्सर लाठी बहुत चलाते हो,
पर दुश्मन को मेहमान समझकर बातचीत पर लाते हो?
कब तक मौन रहोगे मोहन कब तक सर कटवाओगे?
क्या तुम भी अब धर्म-सतह पर भारत को बंटवाओगे?
वह्नि तपिश में जल जलकर सोने का रंग निखरता है,
किन्तु जलन से डर जाना निर्मम निष्ठुर कायरता है,
हमने कब ये कहा तुम्हे सीमा पर जाकर लड़ना है,
हमने कब ये कहा तुम्हे सीमा से आगे बढ़ना है,
पर जो वीर देश की खातिर लड़ने को तैयार खड़े,
तुम उनको क्यूँ रोक रहे हो बालहठों से अड़े-अड़े?
तुमसे लज्जा की भीख मांगती भारती-धरा पांचाली है,
पर ऐसा लगता है तुम्हारा तरकस तीरों से खाली है,
तेरे मंत्री ये कहते हैं-"अब युद्ध-दबाव नहीं हम पर"
लेकिन दिल्ली में युवकों पर दिखलाते रण-कौशल जम कर,
दिल्ली में इतनी ठंढ नहीं कि तुम कुछ बोल न पाओगे ,
हमने तो सोचा था तुम भी शब्दों के बाण चलाओगे,
जब सेनानी के रग-रग में भी खून नहीं बस पानी है ,
ऐसे कायर राजा से रक्षा की उम्मीदें बेमानी हैं!
पर याद रखो वह दिन तुमको भी यही समय दिखलायेगा,
तुम बिलख-बिलख कर रोओगे पर कोई काम न आएगा !
कुमार प्रशांत
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