Tuesday, September 24, 2013

गोरी की चितवन सजे मन में आवे चैन..


काजल आँखों में लगे, सुंदर लागत नैन।
गोरी की चितवन सजे, मन में आवे चैन।।
मन में आवे चैन, देखि कजरारे नैना ।
निरखें तुमको नैन, पास बैठें दिन रैना ॥
कहि ‘प्रशांत’ कविराय, देखि कर काले बादल।...

विरह में न बह जाय, तेरी आँख का काजल॥

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